अन्धविश्वास :- रात को पीपल के पेड़ के पास ना जाए। 
तर्क :- पीपल , वैसे तो हम इस पेड़ की पूजा करते है , लेकिन रात में बच्चो को इस पेड़ से दूर रखने के लिए तरह -तरह की कहानिया बनाते है। पीपल का पेड़ बरगद या गूलर की जाति का पेड़ है , जो विशाल रूप धारण कर सैकड़ो वर्षो तक हरा -भरा रहता है। पीपल के पत्ते चारे के रूप में काम आते है और हाथियों के लिए ये सबसे अच्छा चारा माना जाता है। 
                                      भारतीय संस्कृति में पीपल को देववृक्ष माना गया है , पीपल में भगवान विष्णु और कृष्णा का वास माना है। कहा जाता है कि पहले संत - मुनि पीपल की लकड़ी का उपयोग करके ही आग उत्पन्न किया करते थे। तो ऐसे यह पेड़ पुराने समय से ही बहुत पवित्र माना जाता है और यदि हम अपने आज के समय में देखे तो पीपल का पेड़ कई औषधियों के रूप में काम आता है , जैसे - पीपल की दातून से दांत मजबूत होते है , किसी जहरीले कीड़े के काटने पर पीपल के पत्ते का रस फायदेमंद है, त्वचा रोग होने पर पीपल का काढ़ा , तनाव कम करने में , और नकसीर का इलाज करने में। ......... 
                                                                                  इस पेड़ के इतने फायदे होते हुए भी हम रात में इस पेड़ के नजदीक नहीं जाते और बच्चो को भी रोकने के लिए   "भूतों का घर है पीपल का पेड़ " ऐसा कहकर उन्हें डरा कर दूर रखते है।  पर ऐसा क्यों ? ऐसा इसलिए क्युकी पीपल का पेड़ वैसे तो औषधिय पेड़ है , लेकिन रात के समय यानि सूरज के प्रकाश की अनुपस्थिति में यह भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने लगता है।  और यदि ऐसे में हम इनके पास जाते है तो हमारे श्वांस लेने पर ऑक्सीजन के स्थान पर कार्बन डाइऑक्साइड मात्रा ज्यादा जाएगी क्युकी आस -पास कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा है। 
                                                           biologically  हमारे शरीर में श्वांस के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड की .03% मात्रा जाती है और 4% मात्रा बाहर निकलती है।  जबकि ऑक्सीजन की मात्रा 21 % जाती है और 16 % मात्रा बाहर निकलती है। ऐसे में यदि हमारे शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा मात्रा में जाएगी तो  ऑक्सीजन का प्रतिशत कम हो जायेगा और ऑक्सीजन की कमी होने पर हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन जायेगा। तो विज्ञान की ज्यादा गहराई में ना जाते हुए यही कहना चाहुगी की रात में पीपल के पेड़ के नजदीक ना जाये। 
                                          अब बड़ो को तो हम विज्ञान समझा सकते है , पर बच्चो का क्या ....... उन्हें तो भूतो का नाम लेकर ही पीपल के पेड़ से दूर रख सकते है ना। 

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